Dinsdag 10 Julie 2018


देउडा

~ दिपक साउँद ~
मैना चणी मैदानै छ, डाणी काफल पागी/
काम लाग्ला की यो मेरो जिबन, सुदूर तेरा लागी//
पहाड खप्तड का डाणा, फुल फुलेका छन/
न्याउली कोईली बासन लागी, मौरी डुलेका छन//
तुई मेरो जनम भुमी, ताई मेरो घर छ/
मर्छु की पराया देश, तेई मलाई डर छ//